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25 जून 1975, वह तारीख थी जिसने भारतीय लोकतंत्र को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल लगा दिया गया था आजाद भारत में जन्म लेने वाले युवाओं ने पहली बार वैसा माहौल देखा, जैसा अंग्रेजों के समय हुआ करता था 25 जून 1975 से पहले भी भारत में दो बार आपातकाल लगाया जा चुका था हालांकि, इससे पहले के दोनों मौकों पर देश युद्ध लड़ रहा था

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पहले भी 2 बार लग चुका है आपातकाल

1975 से पहले, 1971 और 1962 में भी इमरजेंसी लगाई गई थी 1962 में चीन से युद्ध के चलते आपातकाल लगा, उस समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते इमरजेंसी लगी, तब इंदिरा ही देश की प्रधानमंत्री थीं 1975 में जब तीसरी बार आपातकाल लगा, तब कोई युद्ध नहीं चल रहा था इंदिरा ने राजनीतिक कारणों से देश को इमरजेंसी में धकेल दिया था

क्या होता है आपातकाल ?

संविधान के अनुच्छेद 352 में राष्ट्रीय आपातकाल का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति के पास आपातकाल घोषित करने की शक्ति है। आपातकाल तब घोषित किया जाता है जब युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह हो। आपातकाल तभी लागू किया जा सकता है जब देश को खतरा हो, किसी व्यक्ति पर नहीं। इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के मूल अधिकार अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिए जाते हैं।

कब - कब लग चुका है देश मे आपातकाल 

स्वतंत्र भारत में अब तक तीन बार आपातकाल लगा है पहली बार आपातकाल की घोषणा 1962 में की गई थी तब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे और चीन से युद्ध छिड़ गया था पहला आपातकाल  26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 तक लागू रहा था देश में दूसरा आपातकाल 1971 में लगा, जब पाकिस्तान से युद्ध शुरू हुआ उस समय पीएम की कुर्सी पर इंदिरा गांधी बैठी थीं दूसरे आपातकाल की घोषणा 3 दिसंबर 1971 को की गई थी

तीसरे आपातकाल की वजह देश मे आंतरिक रंजिश बताई गई

दूसरे आपातकाल के प्रभावी रहते हुए ही, इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को तीसरे आपातकाल की घोषणा कर दी पहले दोनों आपातकाल बाहरी आक्रमण की वजह से लगाए गए थे, तीसरे आपातकाल का आधार आंतरिक अशांति को बताया गया खुद इंदिरा ने ऑल इंडिया रेडियो पर देशवासियों को आपातकाल लागू किए जाने की जानकारी दी थी जनता हैरान थी कि कोई युद्ध नहीं चल रहा फिर क्यों ऐसा फैसला किया गया सरकार में भी अधिकतर लोगों को आपातकाल लागू किए जाने का पता नहीं था तीसरा आपातकाल 21 मार्च 1977 को खत्म हुआ

संविधान में आपातकाल का प्रावधान इस उद्देश्य से किया गया था कि संकट की स्थिति में देश का पूरा ध्यान सिर्फ उससे निपटने पर रहे हालांकि, तीसरे आपातकाल में संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखते हुए लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया राजनीतिक विरोधियों को जेल में ठूंस दिया गया देश करीब दो साल तक अनिश्चितता, भ्रम और तनाव में रहा

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