:
Breaking News

1. Rotary Club Uprise Bikaner प्रस्तुत करता है “फ्री हुनर सीखें, सर्टिफिकेट पाएं!” |

2. मेकअप एक्सपर्ट अलका पांडिया और रोटरी उप्राइज के साथ बीकानेर में महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय! |

3. राखी मोदी और रोटरी उप्राइज बीकानेर के साथ हुनर की नई उड़ान! |

4. मालेगांव फैसला: प्रज्ञा ठाकुर से कोई सिद्ध संबंध नहीं, 17 साल की सुनवाई के बाद सभी सात आरोपी बरी |

5. Top 10 Government Schemes for Indian Women in 2025 | Empowerment & Financial Independence |

6. डॉ. रेशमा वर्मा और रोटरी उप्राइज बीकानेर के सहयोग से 3 दिवसीय महिला हुनर प्रशिक्षण शिविर: आत्मनिर्भरता की ओर एक सशक्त कदम |

7. महिलाओं के लिए निःशुल्क कौशल विकास: रोटरी उप्राइज बीकानेर और महिला हुनर प्रशिक्षण केंद्र का अनूठा प्रयास! |

8. महिलाओं के लिए सुनहरा मौका: निःशुल्क हुनर प्रशिक्षण शिविर रोटरी क्लब सादुल गंज बीकानेर में 3, 4 और 5 अगस्त, 2025 से। |

कोरोना वैक्सीन के सामने आए गम्भीर SIDE EFFECTS, जान कर आप भी हैरान हो सकते है #AstraZeneca #Covishield #Vaxzevria #vaccines #KFY #KFYNEWS #KHABARFORYOU #NATIONALNEWS

top-news
Name:-Aakash .
Email:-jsdairynh7062@gmail.com
Instagram:-@j.s.dairy



एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से जुड़ी खबर ने लोगों की चिंता और मानसिक तनाव बढ़ा दिया है। भारत में करोड़ों लोगों ने इस कंपनी की कोविशील्ड वैक्सीन लगवा रखी है। ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 (कोरोना) वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ

Read More - दिल्ली के बाद, अहमदाबाद के स्कूलों को बम की धमकी वाला ईमेल मिला; रूस का लिंक सामने आया

ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था। एस्ट्राजेनेका के फार्मूले पर ही भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई थी। ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। इसके आलावा कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस की सुनवाई चल रही है। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका कंपनी से करीब 1 हजार करोड़ की क्षतिपूर्ति मांगी है।



ब्रिटेन हाइकोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक



ब्रिटेन के हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकारा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी के कारण शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। भारत में कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने वर्ष 2022 सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 52 करोड़ रुपए से अधिक का चंदा दिया था।

बड़ी जानकारी पर मुख्य नजर

- कोविशील्ड वैक्सीन से हो सकता है हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक : ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में माना

-भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले से ही बनाई थी कोविशील्ड वैक्सीन

-देश में कोविशील्ड वैक्सीन के लगाए गए सर्वाधिक 175 करोड़ डोज

-कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने भाजपा को दिया था 52 करोड़ का चंदा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल 2021 में ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।

पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता है। हालांकि, इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमा किए दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई। इन दस्तावेजों की जानकारी अब जाकर सामने आई है। वैक्सीन में किस चीज की वजह से यह बीमारी होती है, इसकी जानकारी फिलहाल कंपनी के पास नहीं है। दस्तावेजों के सामने आने के बाद स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत/भ्रामक जानकारी दी गई।

वैज्ञानिकों ने सबसे पहले मार्च 2021 में एक नई बीमारी वैक्सीन-इंड्यूस्ड (वैक्सीन से होने वाली) इम्यून थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (VITT) की पहचान की थी। पीड़ितों से जुड़े वकील ने दावा किया है कि VITT असल में TTS का ही एक सबसेट है। हालांकि एस्ट्राजेनेका ने इसे खारिज कर दिया।

दवा कंपनी का बयान

दवा कंपनी एस्ट्रजेनेका ने कहा है, ‘उन लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है या जिन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। मरीजों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी सभी दवाइयों और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पालन करती है।’ कंपनी ने आगे कहा, ‘क्लिनिकल ट्रायल और अलग-अलग देशों के डेटा से यह साबित हुआ है कि हमारी वैक्सीन सुरक्षा से जुड़े मानकों को पूरा करती है। दुनियाभर के रेगुलेटर्स ने भी माना है कि वैक्सीन से होने वाले फायदे इसके दुर्लभ साइड इफेक्ट्स से कहीं ज्यादा हैं।’

ब्रिटेन नही कर रहा एस्ट्रोजन का उपयोग

सबसे अहम बात यह है कि एस्ट्रजेनेका की वैक्सीन का उपयोग अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे।

बता दें कि, मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी के मुताबिक ब्रिटेन में 81 मामले ऐसे हैं, जिनमें इस बात की आशंका है कि वैक्सीन की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मौत हो गई। MHRA के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकार ने मुआवजा दिया था। इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी। वैक्सीन कंपनी की ओर से यह दावा किया गया है कि उन्होंने अप्रैल 2021 में ही प्रोडक्ट इन्फॉर्मेशन में कुछ मामलों में TTS के खतरे की बात शामिल की थी।

#KFY #KFYNEWS #KHABARFORYOU #WORLDNEWS 

नवीनतम  PODCAST सुनें, केवल The FM Yours पर 

Click for more trending Khabar 



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

-->