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भारत की कूटनीतिक चुनौती: निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सज़ा

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भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यमन में 16 जुलाई को केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने की उसकी क्षमता सीमित है। यमन की राजनयिक मान्यता प्राप्त न होने की स्थिति और संवेदनशील स्थिति का हवाला देते हुए, अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा, "सरकार कुछ खास नहीं कर सकती।"

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सरकारी हस्तक्षेप की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान, वकील ने बताया कि निजी प्रयास तो चल रहे हैं, लेकिन "एक सीमा है जहाँ तक भारत सरकार जा सकती है। हम उस सीमा तक पहुँच चुके हैं।" उन्होंने यमन में काम करने की कठिनाइयों और सार्वजनिक जटिलताओं से बचने के लिए लिए गए फैसले पर ज़ोर दिया।

याचिकाकर्ताओं ने सरकार से पीड़ित परिवार के साथ 'ब्लड मनी' पर बातचीत करने का आग्रह किया - निमिषा के परिवार द्वारा ₹8.6 करोड़ की पेशकश, जो शरिया कानून के तहत जायज़ है। हालाँकि, सरकार ने कहा कि यह एक निजी बातचीत है, और केवल इस बात की पुष्टि की कि वे "वहाँ कुछ शेख, प्रभावशाली लोगों" से निजी तौर पर बातचीत कर रहे हैं।

पलक्कड़ की निमिषा प्रिया को यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी। उसकी फांसी 16 जुलाई को होनी है। वह हूती नियंत्रित जेल में बंद है, जिसके साथ भारत के राजनयिक संबंध नहीं हैं, जिससे सरकारी जानकारी और हस्तक्षेप सीमित हो जाता है।

निमिषा 2011 में काम के सिलसिले में यमन चली गई थी। आर्थिक तंगी के कारण उसका परिवार वापस लौटने पर, उसने महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक चलाया। उसका दावा है कि महदी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया। उसे वापस पाने और भागने के लिए, उसने महदी को बेहोश करने की कोशिश की, जिससे उसकी मौत हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 18 जुलाई के लिए फिर से सूचीबद्ध किया है।

निमिषा प्रिया मामले का विस्तृत विवरण यहाँ दिया गया है, जिसमें स्पष्टता के लिए बिंदुओं में जानकारी प्रस्तुत की गई है:


निमिषा प्रिया मामला: मुख्य विवरण और सरकार का रुख


निमिषा प्रिया कौन हैं?

केरल के पलक्कड़ जिले की एक 37 वर्षीय भारतीय नर्स।

2011 में (कुछ रिपोर्टों के अनुसार 2008 में) काम के लिए यमन चली गईं।

उनके पति और बेटी आर्थिक तंगी के कारण 2014 में भारत लौट आए, लेकिन निमिषा अपने परिवार के लिए कमाने के लिए यहीं रहीं।


कथित अपराध:

यमन के एक नागरिक, तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला।

निमिषा का आरोप है कि महदी ने उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया, उन्हें प्रताड़ित किया और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया।

अपना पासपोर्ट वापस पाने और भागने की कोशिश में, उन्होंने जुलाई 2017 में महदी को बेहोश करने वाली दवा दी।

बेहोशी की दवा का ओवरडोज़ जानलेवा साबित हुआ, जिससे उनकी मौत हो गई।

अदालती रिकॉर्ड और मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि उस पर और एक यमनी महिला, हनान पर महदी के शव के टुकड़े-टुकड़े करके उसे पानी की टंकी में फेंकने का आरोप लगाया गया था।


कानूनी कार्यवाही और सज़ा:

महदी की हत्या का पता चलने के बाद गिरफ़्तार किया गया।

2018 में सना की एक निचली अदालत ने उसे मौत की सज़ा सुनाई।

यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में उसकी मौत की सज़ा बरकरार रखी।

उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई, और यमन के राष्ट्रपति से की गई दया याचिका भी अस्वीकार कर दी गई।

उसे 16 जुलाई, 2025 को फांसी दिए जाने की संभावना है।


भारत सरकार की स्थिति और चुनौतियाँ:

सीमित राजनयिक मान्यता: भारत के ईरान समर्थित हूती मिलिशिया के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, जो सना को नियंत्रित करता है जहाँ निमिशा कैद है। भारत के आधिकारिक राजनयिक संबंध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार (राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद) के साथ हैं।

"सरकार कुछ ज़्यादा नहीं कर सकती": अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि "यमन की संवेदनशीलता" और सत्तारूढ़ सरकार के साथ राजनयिक मान्यता की कमी के कारण सरकार की हस्तक्षेप करने की क्षमता गंभीर रूप से सीमित है।

निजी माध्यम से प्रयास: सरकार का कहना है कि वह "निजी माध्यमों से" और "वहाँ के कुछ शेख़ और प्रभावशाली लोगों" के ज़रिए निमिशा को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।

गोपनीयता: वकील ने ज़ोर देकर कहा कि वह "सार्वजनिक रूप से स्थिति को जटिल" नहीं बनाना चाहते और इस तरह "निजी स्तर" पर काम नहीं करना चाहते।

सूचना का अभाव: सरकार मानती है कि राजनीतिक अस्थिरता और हूतियों के साथ औपचारिक संबंधों की कमी के कारण "यमन में क्या हो रहा था, यह जानने का कोई तरीका नहीं है"


'रक्त-धन' (दीया) पहलू:

शरिया कानून के तहत प्रावधान: 'दीया' या 'रक्त-धन' इस्लामी शरिया कानून का एक प्रावधान है जो हत्या के मामलों में पीड़ित के परिवार को वित्तीय मुआवज़ा देने की अनुमति देता है, जिससे संभावित रूप से माफ़ी या कम सज़ा हो सकती है। इसे 'क़िसास' (समान प्रतिशोध) का एक विकल्प माना जाता है।

निमिशा के परिवार का प्रस्ताव: निमिशा के परिवार ने महदी के परिवार को 'रक्तदान' के रूप में ₹8.6 करोड़ (लगभग 10 लाख डॉलर) देने की पेशकश की है।

सरकार का बातचीत पर रुख: भारत सरकार रक्तदान को परिवारों के बीच एक "निजी बातचीत" मानती है, हालाँकि वे निजी माध्यमों से इन प्रयासों को सुगम बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

पीड़ित परिवार की अनिच्छा: रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि तलाल अब्दो महदी का परिवार अब तक रक्तदान स्वीकार करने को तैयार नहीं है, जिससे स्थिति बेहद कठिन हो गई है।


वर्तमान स्थिति और भविष्य:

निमिशा प्रिया वर्तमान में सना में हूती-नियंत्रित जेल में बंद है।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय सरकार के हस्तक्षेप की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

इस मामले को शुक्रवार, 18 जुलाई, 2025 को, उसकी निर्धारित फाँसी की तारीख के दो दिन बाद, सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध किया गया है।

उनके परिवार, कार्यकर्ताओं और कानूनी टीमों द्वारा क्षमादान के लिए अंतिम समय में प्रयास जारी हैं।

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