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सैम मानेकशॉ की पुण्यतिथि: भारत के पहले फील्ड मार्शल को श्रद्धांजलि

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Name:-DIVYA MOHAN MEHRA
Email:-DMM@khabarforyou.com
Instagram:-@thedivyamehra



हर वर्ष 27 जून को भारत याद करता है उस वीर योद्धा को जिसने ना केवल युद्ध जीते, बल्कि देश के सैन्य इतिहास को भी आकार दिया फील्ड मार्शल सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ।

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कौन थे सैम मानेकशॉ?

सैम मानेकशॉ, जिन्हें प्यार से "सैम बहादुर" कहा जाता है, भारतीय सेना के पहले अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया था।

उन्होंने भारतीय सेना में 40 वर्षों से अधिक सेवा दी और पांच युद्धों का हिस्सा रहे द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर 1971 के भारत-पाक युद्ध तक।

 

 1971 का युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण

उनका सबसे ऐतिहासिक योगदान रहा 1971 का भारत-पाक युद्ध, जिसमें उनकी कुशल रणनीति और नेतृत्व के बल पर भारत ने जीत हासिल की और बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।

यह युद्ध आज भी मानेकशॉ की सैन्य प्रतिभा और दूरदर्शिता की मिसाल माना जाता है।

  

उनकी कुछ प्रसिद्ध बातें:
 "I wonder whether those of our political leaders who talk so much about war have ever been to war, have ever heard a bullet, or seen a man die." सैम मानेकशॉ

 उनके बेबाक और साहसी विचारों ने उन्हें जनता और सेना दोनों का प्रिय बना दिया।

 

27 जून: एक वीर को नमन

27 जून 2008 को सैम मानेकशॉ का निधन हुआ, लेकिन उनकी वीरता, नेतृत्व और योगदान आज भी हर भारतीय सिपाही और नागरिक के दिल में जीवित है।

उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनकी विरासत को याद करते हैं।

 

निष्कर्ष:

सैम मानेकशॉ सिर्फ एक सैनिक नहीं थे वो एक विजनरी नेता, देशभक्त, और आधुनिक भारत के सच्चे रक्षक थे।

उनकी पुण्यतिथि पर हमें यह याद रखना चाहिए कि सच्चे नायक वे होते हैं जो शब्दों से नहीं, कर्मों से इतिहास रचते हैं।

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